
आज मंगलवार को आरोपी डॉक्टर को कोर्ट में पेश किया गया।
दमोह के मिशन अस्पताल में 7 हार्ट पेशेंट की मौत के आरोपी डॉक्टर नरेंद्र जॉन केम ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार कर लिया है कि उसके सभी डॉक्यूमेंट फर्जी हैं। डॉक्टर ने बताया कि उसने डॉक्यूमेंट्स एडिट किए हैं। उसकी कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री पर पूर्व उप राष्
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आरोपी डॉक्टर को आज कोर्ट में पेश किया गया। जहां पुलिस ने 5 दिन की रिमांड मांगी। एसपी का कहना है कि डॉक्टर तबीयत खराब होने का बहाना कर रहा था। इस कारण उससे कड़ाई से पूछताछ नहीं की गई थी। अब रिमांड मिलने पर सख्ती बरती जाएगी।
एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने बताया, आरोपी डॉक्टर पुलिस को गुमराह करने का प्रयास कर रहा है। अभी तक की पूछताछ में उसने बताया कि वह जर्मनी गया था। उसके पासपोर्ट से इस बात की पुष्टि कर रहे हैं। वह उत्तराखंड नहीं बल्कि कानपुर का रहने वाला है और उसका असली नाम विक्रमादित्य नरेंद्र यादव है।
दरअसल, दमोह के मिशन अस्पताल में लंदन के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एनजोन केम के नाम पर फर्जी डॉक्टर ने ढाई महीने में 15 हार्ट ऑपरेशन कर डाले। उस पर आरोप है कि दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 के बीच हुए इन ऑपरेशन में 7 मरीजों की मौत हो गई। इसका खुलासा तब हुआ जब एक मरीज के परिजन ने संदेह होने पर डॉक्टर की शिकायत की। इसके बाद मामला मानवाधिकार आयोग तक पहुंच गया। आयोग की टीम अभी दमोह में ही है।

सोमवार रात करीब 11:30 बजे पुलिस आरोपी डॉक्टर को दमोह लेकर पहुंची थी।

आरोपी डॉक्टर अपने साथ एक बाउंसर रखता था, जो हाथ में उनका सूटकेस लिए चलता था।
‘अस्पताल ने डॉक्टर की जानकारी नहीं दी थी’ सीएमएचओ मुकेश जैन ने दैनिक भास्कर को बताया, फरवरी माह में मिशन अस्पताल में हुई सभी सर्जरी और डॉक्टर्स की जानकारी मांगी थी। लेकिन अस्पताल मैनेजमेंट ने डॉक्टर एन जॉन केम के बारे में नहीं बताया। 5 मार्च को रिपोर्ट कलेक्टर सुधीर कोचर को दी।
एक बार फिर मिशन अस्पताल से डॉक्टर के डॉक्यूमेंट मांगे। तब जो डॉक्यूमेंट दिए, उसमें बताया गया कि आरोपी डॉक्टर ने कोलकाता यूनिवर्सिटी से एमबीबीएस और एमडी की डिग्री की है और कार्डियोलॉजी की डिग्री पॉन्डिचेरी से की है।
सभी डॉक्यूमेंट का वेरिफिकेशन करने के लिए हमने सागर मेडिकल कॉलेज को पत्र लिखा। उनका जवाब आया कि वहां कार्डियोलॉजिस्ट नहीं है। इसलिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज से जांच की मांग कीजिए। 4 अप्रैल को जबलपुर मेडिकल कॉलेज टीम को जांच के लिए पत्र लिखा।
डॉक्टर की डिग्री में पूर्व उपराष्ट्रपति के फर्जी हस्ताक्षर सीएमएचओ मुकेश जैन ने बताया, टीम ने जब डॉक्टर की डिग्री की जांच की तो उसमें पॉन्डिचेरी विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के हस्ताक्षर थे। इस बात का सत्यापन करने के लिए जब टीम ने गूगल पर पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी के हस्ताक्षर चेक करे तो डिग्री में मौजूद हस्ताक्षर और ओरिजिनल हस्ताक्षर में अंतर मिला। इससे स्पष्ट हो गया कि आरोपी डॉक्टर की कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री भी फर्जी है।
डिग्री में संदेह का एक प्रमुख कारण यह भी था कि उसकी डिग्री में न तो एनरोलमेंट नंबर था और न ही रोल नंबर। जब इस बात की पुष्टि हो गई कि डॉक्टर के डॉक्यूमेंट फर्जी है तब जाकर टीम ने कोतवाली में आरोपी डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई।

आरोपी डॉक्टर की कार्डियोलॉजी की डिग्री में पूर्व उप राष्ट्रपति के फर्जी साइन मिले हैं।
मामले में डॉक्टर समेत तीन को आरोपी बनाया सीएमएचओ मुकेश जैन ने रविवार को कोतवाली थाना में डॉक्टर नरेंद्र जॉन पर एफआईआर दर्ज करवाई। दो अन्य को भी मामले में आरोपी बनाया गया है। पुलिस ने सोमवार को ऑपरेशन के दौरान जान गंवाने वाले रहीसा बेगम के बेटे नबी बेग और शिकायतकर्ता कृष्णा पटेल के बयान लिए।
डॉक्टर ने कहा था- मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते मिशन अस्पताल की मैनेजर पुष्पा खरे ने आरोपी डॉक्टर का नंबर पुलिस को उपलब्ध करवाया था। साइबर सेल नंबर ट्रेस कर रही थी। मामला सामने आने के बाद भी पुष्पा लगातार डॉक्टर के संपर्क में थी। दोनों की 6 और 7 अप्रैल को बात हुई थी। पुष्पा ने पुलिस को बताया कि डॉक्टर ने कहा था, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता, जिसे जो करना है कर लो।
जबलपुर मेडिकल कॉलेज की टीम भी पहुंची आरोपी डॉक्टर की कार्डियोलॉजिस्ट से जुड़ी डिग्री की जांच करने जबलपुर मेडिकल कॉलेज की तीन सदस्य टीम मंगलवार शाम 5:00 बजे मिशन अस्पताल पहुंची। हालांकि टीम ने मीडिया से कुछ भी कहने से मना कर दिया। टीम में शामिल डॉक्टर दीपक ने केवल इतना कहा कि अभी जांच चल रही है, इसलिए कुछ नहीं बता पाएंगे। जांच पूरी होने के बाद ही कुछ कह सकेंगे। कितने दिन जांच चलेगी, जांच पूरी हुई या नहीं, इन सवालों के जवाब नहीं दिए।
लोकेशन ट्रेस करते हुए टीम पहुंची प्रयागराज पुलिस ने डॉक्टर को पकड़ने के लिए साइबर टीम की मदद ली थी। उसकी मोबाइल लोकेशन उत्तरप्रदेश के प्रयागराज में मिली। सोमवार सुबह टीम यहां से रवाना हुई। शाम करीब 4 बजे प्रयागराज पहुंची तो आरोपी का मोबाइल बंद मिला। इधर, दमोह साइबर टीम के राकेश अठया और सौरभ टंडन लोकेशन ट्रैस कर रहे थे। पता चला कि डॉक्टर ने प्रयागराज में एक व्यक्ति से बात की है। उसकी कॉन्टैक्ट लिस्ट में ये नंबर था।
पुलिस उस नंबर की लोकेशन पर पहुंची तो एक व्यक्ति चिकन बेच रहा था। पूछताछ में दुकानदार ने कुछ भी बताने से मना कर दिया। पुलिस ने सख्ती कर उसका मोबाइल चेक किया। उसमें आरोपी डॉक्टर से उसकी वॉट्सऐप चैटिंग मिल गई। पुलिस को डॉक्टर का सटीक पता मिल गया।

डॉक्टर के साथ दो अन्य को भी आरोपी बनाया गया है। अभी इन दोनों के नाम सामने नहीं हैं।
घेराबंदी कर पकड़ लिया आरोपी पुलिस टीम प्रयागराज के औद्योगिक थाना क्षेत्र इलाके में ओमेक्स अदनानी बिल्डिंग 5/11 टावर ए के पास पहुंची। यहां आरोपी डॉक्टर की कार मिल गई। तय हो गया कि आरोपी डॉक्टर यहीं कहीं आसपास है। इसके बाद दमोह पुलिस ने प्रयागराज पुलिस को सूचना देकर जानकारी दी। स्थानीय पुलिस की मदद से घेराबंदी की गई। यहां एक फ्लैट में डॉक्टर छिपा मिला। रात करीब 11:30 बजे पुलिस उसे दमोह लेकर पहुंची। यहां कंट्रोल रूम में एसपी श्रुतकीर्ति सोमवंशी ने तड़के 4 बजे तक उससे पूछताछ की।
विवादों पर रहा दमोह का मिशन अस्पताल मिशन अस्पताल पर इससे पहले ह्यूमन ट्रैफिकिंग और धर्मांतरण के आरोप भी लग चुके हैं। फर्जी और 7 मौतों का मामला 4 अप्रैल को सामने आया, जब राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट की।
इन मरीजों की मौत हुई थी
- सत्येंद्र सिंह राठौर निवासी लाडनबाग, हथना, दमोह
- रहीसा बेग निवासी पुराना बाजार नंबर 2, दमोह
- इजराइल खान, निवासी डॉ. पसारी के पास, दमोह
- बुधा अहिरवाल निवासी बरतलाई, पटेरा, दमोह
- मंगल सिंह राजपूत निवासी बरतलाई, पटेरा, दमोह
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दमोह अस्पताल के डॉक्टर का कैसे हुआ पर्दाफाश

कृष्णा ही वो शख्स हैं जिन्होंने दमोह के मिशन हॉस्पिटल में हार्ट सर्जरी के नाम पर फर्जीवाड़े के आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत मानव अधिकार आयोग से की है। उन्होंने ऑपरेशन करने वाले डॉ.नरेंद्र यादव उर्फ नरेंद्र जॉन केम की शिकायत में ये भी कहा है कि उनकी पहचान भी फर्जी है। उसके आधार कार्ड पर भी जर्मनी के डॉक्टर के पिता का नाम और पता लिखा है। पढ़ें पूरी खबर