Cyber fraud cases in India and world increase day by day | दुनिया में हर सेकेंड 1.63 करोड़ की साइबर ठगी: भारत में 6 साल में 42 गुना बढ़ी, इस साल ₹1.2 लाख करोड़ की ठगी की आशंका
नई दिल्ली16 मिनट पहले कॉपी लिंक हर साल ₹514 लाख करोड़ से ज्यादा ठग रहे साइबर अपराधी। इंटरनेट और तकनीक जीवन आसान बना रही हैं, लेकिन साइबर ठगों ने इसे खौफनाक जगह बना दिया है। 2024 में दुनिया में ₹498 लाख करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी हुई। यानी कि हर सेकेंड ₹1.63 करोड़ की…
नई दिल्ली16 मिनट पहले
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हर साल ₹514 लाख करोड़ से ज्यादा ठग रहे साइबर अपराधी।
इंटरनेट और तकनीक जीवन आसान बना रही हैं, लेकिन साइबर ठगों ने इसे खौफनाक जगह बना दिया है। 2024 में दुनिया में ₹498 लाख करोड़ से ज्यादा की साइबर ठगी हुई। यानी कि हर सेकेंड ₹1.63 करोड़ की चपट लगी।
भारत में 2023 में 9.2 लाख से ज्यादा शिकायतें आईं, जिनमें ₹6 हजार करोड़ की चपत लगी। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार साइबर ठगी 6 साल में 42 गुना बढ़ गई। यह तकनीकी ही नहीं, बल्कि आर्थिक व कानूनी चुनौती भी बन गया है।
ठगी की रकम की लॉन्ड्रिंग के लिए मनी म्यूल, क्रिप्टोकरेंसी व हवाला नेटवर्क इस्तेमाल हो रहे हैं। सरकारें साइबर सुरक्षा पर अरबों रुपए खर्च कर रही हैं।
भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र ने 2025 में भारतीयों से ₹1.2 लाख करोड़ से ज्यादा की ठगी की आशंका जताई है। यह बिहार के बजट के 50% के बराबर है।
ग्लोबल ट्रेंड: हर साल 514 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ठग रहे साइबर अपराधी साइबर अपराध अर्थव्यवस्था के लिए भी खतरा हैं। 2024 में दुनिया में साइबर क्राइम से 498 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। ये कितना गंभीर है, यह इस तरीके से समझ सकते हैं।
सोर्स- I4C और क्लाउडसेक रिपोर्ट |
आइए समझें ठगी और मनी लॉन्ड्रिंग का यह पूरा खेल…
- ग्लोबल ट्रेल: मनी म्यूल्स, क्रिप्टोकरेंसी और हवाला के जरिये ठगी की रकम देश से बाहर ले जाई जाती है। कंबोडिया का हुइओन ग्रुप इसके लिए कुख्यात है। भारत में यूएसडीटी क्रिप्टो से ऐसे काम होते हैं। इनमें स्कैमर की मदद बिचौलिये करते हैं, जिन्हें मैचमेकर कहते हैं। इनके मनी म्यूल दुनियाभर फैले हैं। मनी म्यूल व्यक्ति या फर्जी कंपनी होती हैं, जो बैंक खातों या क्रिप्टो के जरिये पैसा इधर-उधर कर देते हैं। स्कैमर अगर 1 लाख रुपए ठगता है तो प्रोसेस ऐसा चलता है…
ये प्रोसेस 3 चीजों पर टिका होता है 1. फर्जी दस्तावेज
2. भ्रष्ट बैंकिंग सिस्टम
3. क्रिप्टो की गुमनामी
ठगी की रकम देश के बाहर ले जाने की 6 स्टेज
- स्टेज 1: स्कैमर मैचमेकर से डील करता है। बड़े देश में स्कैम के लिए मैचमेकर रकम का 15% हिस्सा अपने और म्यूल्स के लिए रखता है।
- स्टेज 2: मैचमेकर सही मनी म्यूल्स ढूंढ़ता है और डील फाइनल करता है।
- स्टेज 3: मैचमेकर स्कैमर को म्यूल के बैंक खाते या क्रिप्टो वॉलेट की जानकारी देता है। स्कैमर यह जानकारी शिकार को भेजते हैं।
- स्टेज 4: स्कैमर के झांसे में आया पीड़ित 1 लाख रु. मनी म्यूल को भेज देता है।
- स्टेज 5: म्यूल यह पैसा एक-एक कर कई खातों में भेजता है। इसकी बड़ी चेन बनती है। फिर क्रिप्टोकरेंसी में बदल देश की सीमा से बाहर भेज देता है।
- स्टेज 6: मर्जी वाले देश में पैसा पहुंचने पर म्यूल पैसा मैचमेकर को भेजता है। मैचमेकर फीस काट बाकी रकम स्कैमर को देता है। ये ट्रेल जांच एजेंसियां पकड़ नहीं पातीं।
साइबर ठगों से लड़ाई महंगी, देश के 37% जिलों में साइबर सेल भी नहीं हैं साइबर ठगों से लड़ाई महंगी पड़ रही है। सरकारों को पर संसाधनों और मैन पावर पर मोटा निवेश करना पड़ता है। भारत में I4C और राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल जैसी पहल शुरू हुई हैं।
- भारत में 2024 में 24 हजार अधिकारियों को साइबर अपराध से निपटने की ट्रेनिंग दी है। 33 राज्यों में साइबर फोरेंसिक लैब हैं। हालांकि, 37% जिलों में अभी साइबर क्राइम सेल नहीं हैं।
- 28 हजार करोड़ भारत में भी इस साल साइबर सुरक्षा पर खर्च होने का अंदाजा है
- 18.10 लाख करोड़ दुनिया में 2025 में साइबर सुरक्षा पर खर्च होने का अनुमान
- 2.45 लाख करोड़ है ग्लोबल एंटी मनी लॉन्ड्रिंग का खर्च, जो 2028 तक बढ़कर 4.41 लाख करोड़ होने का अनुमान है।
- 70% हिस्सा वैश्विक खर्च का अमेरिका और पश्चिमी यूरोप में ही होने का अनुमान।
- 16.4% अरब बढ़ जाएगा भारत का साइबर सुरक्षा पर खर्च 2024 की तुलना में।
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