
मुंबई9 मिनट पहले
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महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) चीफ राज ठाकरे ने शनिवार को उद्धव ठाकरे से गठबंधन के संकेत दिए थे।
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक बार फिर साथ आ सकते हैं। इस पर महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि अगर दोनों साथ आते हैं तो हमें खुशी होगी। मतभेद मिटाना अच्छी बात है।
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) चीफ राज ठाकरे ने शनिवार को इस बात का संकेत दिया था। राज ठाकरे ने कहा- हमारे बीच राजनीतिक मतभेद हैं, विवाद हैं, झगड़े हैं, लेकिन यह सब महाराष्ट्र के आगे बहुत छोटी चीज हैं।
महाराष्ट्र और मराठी लोगों के हित के लिए साथ आना कोई बहुत बड़ी मुश्किल नहीं है। राज ठाकरे ने अभिनेता और निर्देशक महेश मांजरेकर के यू-ट्यूब चैनल पर यह बातें कहीं। महेश मांजरेकर ने राज से उद्धव के साथ गठबंधन पर सवाल किया था।
इस पर राज ठाकरे ने कहा कि किसी बड़े मकसद के आगे हमारे बीच की लड़ाइयां छोटी हैं। इधर उद्धव का भी रिएक्शन आया है, उन्होंने कहा कि मेरी तरफ से कभी कोई झगड़ा नहीं था। हालांकि राज्यसभा सांसद संजय राउत ने गठबंधन को लेकर शर्त रखी है।

राउत ने रखी शर्त
शिवसेना (UBT) सांसद संजय राउत ने कहा कि उद्धव एक शर्त पर राज से बात को तैयार हैं, अगर राज महाराष्ट्र और शिवसेना (UBT) के दुश्मनों को अपने घर में जगह न दें। वहीं, शिवसेना नेता नरेश म्हस्के ने उद्धव से पूछा कि जब उन्होंने खुद राज को पार्टी से अलग किया, तो अब एकजुटता की बात क्यों कर रहे हैं?
शिवसेना (UBT) नेता अंबादास दानवे ने कहा है कि दोनों भाई हैं, लेकिन उनकी राजनीति अलग है। बातचीत अगर होनी है तो निजी स्तर पर हो, न कि टीवी पर। छत्रपति संभाजीनगर में मीडिया से बात करते हुए दानवे ने कहा, ‘अगर साथ आना है तो आमने-सामने बात होनी चाहिए, टीवी पर नहीं।’
2005 में अलग हुए थे राज-उद्धव
राज ने शिवसेना में उद्धव को उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद 27 नवंबर 2005 को पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नव निर्माण सेना’ बनाई थी। तब दोनों के बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे।
इंटरव्यू में राज ठाकरे ने शिंदे, भाजपा और शिवसेना पर बात की…
1. यह निजी स्वार्थ का मामला नहीं
राज ठाकरे ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि एक साथ आना और एक साथ रहना कोई बहुत कठिन बात है। सवाल केवल इच्छाशक्ति का है। यह मेरी निजी इच्छा या स्वार्थ का मामला नहीं है। मेरा मानना है कि हमें महाराष्ट्र की बड़ी तस्वीर देखनी चाहिए। मेरा मानना है कि महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक दलों के मराठी लोगों को एक साथ आकर एक पार्टी बनानी चाहिए।”
2.शिंदे के सवाल पर बोले- किसी और के अधीन काम नहीं करूंगा
एकनाथ शिंदे के सत्ता में आने और एतराज की बात पर राज ने कहा, “पहली बात तो यह कि शिंदे का जाना या विधायकों का टूटना राजनीति का अलग हिस्सा बन गया। जब मैंने शिवसेना छोड़ी तो कई विधायक और सांसद मेरे पास आए, लेकिन मेरे मन में एक ही बात थी कि अगर बालासाहेब को छोड़ दूंगा तो किसी और के अधीन काम नहीं करूंगा। उस समय यही स्थिति थी।”
3. उद्धव के साथ काम करने में आपत्ति नहीं थी
उन्होंने कहा, “जब मैं शिवसेना में था तो मुझे उद्धव के साथ काम करने में कोई आपत्ति नहीं थी। सवाल यह है कि क्या दूसरा व्यक्ति चाहता है कि मैं उसके साथ काम करूं? मैं कभी भी अपने अहंकार को ऐसी छोटी-छोटी बातों में नहीं लाता।”
4. भाजपा के साथ जाने पर कहा- राजनीति में क्या हो जाए, कह नहीं सकते
महेश मांजरेकर ने भाजपा के साथ जाने पर सवाल किया तो राज ठाकरे ने कहा, “मैं महाराष्ट्र के बारे में या मराठी लोगों के लिए जो कुछ भी कह सकता हूं या कर सकता हूं, मैं करूंगा। मेरा भाजपा के साथ आना राजनीतिक होगा, लेकिन मेरी सोच उनकी सोच से मेल नहीं खाती। हालांकि राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। राजनीति में सब कुछ बदल जाता है। यहां सब कुछ इतनी तेजी से हो रहा है कि आप नहीं बता सकते कि कब क्या हो जाएगा।”
2024 विधानसभा चुनाव में दोनों की परफॉरमेंस गिरी 2024 विधानसभा चुनाव में राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे दोनों की पार्टियों की परफॉर्मेंस काफी खराब रही थी। उद्धव की यूबीटी पार्टी को जहां सिर्फ 20 सीटें मिलीं थीं। वहीं राज ठाकरे की MNS का खाता तक नहीं खुला।

अब जानिए राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के बीच फूट कैसे पड़ी
1989 से राजनीति में सक्रिय हैं राज ठाकरे 1989 में राज ठाकरे 21 साल की उम्र में शिवसेना की स्टूडेंट विंग, भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष थे। राज इतने सक्रिय थे कि 1989 से लेकर 1995 तक 6 साल के भीतर उन्होंने महाराष्ट्र के कोने-कोने के अनगिनत दौरे कर डाले। 1993 तक उन्होंने लाखों की तादाद में युवा अपने और शिवसेना के साथ जोड़ लिए। इसका नतीजा ये हुआ कि पूरे राज्य में शिवसेना का तगड़ा जमीनी नेटवर्क खड़ा हो गया।
2005 में शिवसेना पर उद्धव हावी होने लगे 2002 तक राज ठाकरे और उद्धव शिवसेना को संभाल रहे थे। 2003 में महाबलेश्वर में पार्टी का अधिवेशन हुआ। बालासाहेब ठाकरे ने राज से कहा- ‘उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाओ। राज ने पूछा, ‘मेरा और मेरे लोगों का क्या होगा।’ 2005 तक उद्धव पार्टी पर हावी होने लगे थे। पार्टी के हर फैसले में उनका असर दिखने लगा था। ये बात राज ठाकरे को अच्छी नहीं लगी।

2003 में महाबलेश्वर में पार्टी का अधिवेशन हुआ। यहां बाला साहेब ठाकरे ने राज से कहा कि उद्धव को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष अनाउंस करो।
राज ठाकरे ने पार्टी छोड़ी, MNS का ऐलान किया 27 नवंबर 2005 को राज ठाकरे के घर के बाहर हजारों समर्थकों की भीड़ इकट्ठा हुई। यहां राज ने समर्थकों से कहा, ‘मेरा झगड़ा मेरे विट्ठल (भगवान विठोबा) के साथ नहीं है, बल्कि उसके आसपास के पुजारियों के साथ है।
कुछ लोग हैं, जो राजनीति की ABC को नहीं समझते हैं। इसलिए मैं शिवसेना के नेता के पद से इस्तीफा दे रहा हूं। बालासाहेब ठाकरे मेरे भगवान थे, हैं और रहेंगे।’
9 मार्च 2006 को शिवाजी पार्क में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी ‘महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना’ यानी मनसे का ऐलान कर दिया। राज ने मनसे को ‘मराठी मानुस की पार्टी’ बताया और कहा- यही पार्टी महाराष्ट्र पर राज करेगी।
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शिवसेना पार्टी शुरू हुए अभी साल भर बीता था। इसके टॉप लीडर थे बालासाहेब ठाकरे। बलवंत मंत्री को पार्टी का दूसरा बड़ा नेता माना जाने लगा था। शिवसेना के तमाम बड़े मंचों पर बाल ठाकरे के साथ बलवंत मंत्री जरूर दिखते थे। हालांकि, दोनों नेताओं में कुछ मतभेद होने लगे थे। पूरी खबर पढ़ें..