Banks did not return 95% of the money stolen online | ऑनलाइन ठगी की 95% रकम बैंकों ने नहीं लौटाई: कोर्ट के आदेशों के इंतजार में ब्लाॅक पड़ी हैं; 3 साल में 22 गुना तक बढ़ी

Banks did not return 95% of the money stolen online | ऑनलाइन ठगी की 95% रकम बैंकों ने नहीं लौटाई: कोर्ट के आदेशों के इंतजार में ब्लाॅक पड़ी हैं; 3 साल में 22 गुना तक बढ़ी


नई दिल्ली22 घंटे पहले

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पिछले 3 साल में साइबर ठगी का शिकार होने से बची 87.88 करोड रु. की राशि में से सिर्फ 4 करोड़ 15 लाख रु. यानी महज 5% ही उपभोक्ताओं को वापस मिल पाए हैं। - Dainik Bhaskar

पिछले 3 साल में साइबर ठगी का शिकार होने से बची 87.88 करोड रु. की राशि में से सिर्फ 4 करोड़ 15 लाख रु. यानी महज 5% ही उपभोक्ताओं को वापस मिल पाए हैं।

साइबर स्पेस में ऑनलाइन ठगी का शिकार होने वालों को बैंकिंग सिस्टम भी छका रहा है। पिछले 3 साल में साइबर ठगी का शिकार होने से बची 87.88 करोड रु. की राशि में से सिर्फ 4 करोड़ 15 लाख रु. यानी महज 5% ही उपभोक्ताओं को वापस मिल पाए हैं। बाकी रकम बैंकों में कोर्ट के आदेशों के इंतजार में ब्लाॅक पड़ी है।

डिजिटल पेमेंट पर एक संसदीय रिपोर्ट के अनुसार साइबर ठगी की कुल रकम में से कम से कम 10% पकड़ ली जाती है लेकिन वह उपभोक्ता को वापस नहीं मिल पाती। आधिकारियों ने कहा कि डिजिटल फ्रॉड की रकम कोर्ट के आदेश से ही वापस की जा सकती है।

एक समस्या यह भी है कि साइबर फ्रॉड और वैध पेमेंट के बीच फर्क करना मुश्किल पड़ता है क्योंकि फ्रॉड करने वाले असली और फ्रॉड ट्रांजेक्शन मिलाकर करते हैं। दूसरा, बैंक और वित्तीय संस्थाएं ब्लॉक की हुई रकम से फ्रीज हटाने में आनाकानी करती हैं।

संसदीय समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में 547 करोड़ रु. की साइबर ठगी में से 3 करोड़ 64 लाख रु. की रकम बैंकों ने ब्लॉक कर दी, लेकिन इसमें से एक पाई भी उपभोक्ताओं को वापस नहीं मिली।

दो साल में ही साइबर फ्राॅड की घटनाओं में 128% की बढ़ोतरी

पिछले दो साल में ही साइबर फ्राॅड की घटनाओं में 128% की बढ़ोतरी हुई है। इन दो वर्षों में साइबर ठगी की रकम 2,296 करोड़ से बढ़कर 5,574 करोड़ रु. हाे गई है यानी इसमें 243% का इजाफा हुआ है।

बैंकों के वर्चुअल अकाउंट से भी साइबर फ्रॉड बढ़ रहे हैं

साइबर फ्रॉड के नए मॉडलों के बारे में गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने अपनी गवाही में बताया कि बैंकों के वर्चुअल अकाउंट्स का फ्रॉड में इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है। बैंकों के करंट अकाउंट या एस्क्रो अकाउंट से अनेक वर्चुअल अकाउंट्स खोल लिए जाते हैं। कानून लागू करने वाली एजेंसियों को उनके लेनदेन की कोई जानकारी नहीं होती। निवेश घोटालों और कर्ज घोटालों में इन वर्चुअल अकाउंट का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जा रहा है।

क्या है वर्चुअल अकाउंट

कोई व्यक्ति एक अकाउंट खोलकर उसके आधार पर कई वर्चुअल अकाउंट बना लेता है और फिनटैक कंपनी का इस्तेमाल करते हुए कई खातों से रकम निकालने या डालने के निर्देश देने लगता है। फंड कहां से आ रहा है, कहां जा रहा है, ये पता नहीं चलता। फिलहाल इन खातों पर निगरानी रखने की कोई भी व्यवस्था उपलब्ध नहीं है।

बायोमीट्रिक्स क्लोनिंग भी

आधार इनेबिल्ड पेमेंट सिस्टम में बायोमीट्रिक्स क्लोनिंग से ठगी हो रही। डमी या रबड़ की फिंगर्स इस्तेमाल की जा रही हैं।

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