आकाश आनंद को उनकी बुआ और बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को माफ कर दिया। बसपा से निकाले जाने के 41वें दिन आकाश की फिर से पार्टी में एंट्री हो गई है।
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आकाश पार्टी से हटाए जाने से पहले नेशनल कोआर्डिनेटर और बसपा प्रमुख के उत्तराधिकारी थे। मायावती ने साफ कर दिया है कि जब तक वे स्वस्थ्य रहेंगी, किसी को भी उत्तराधिकारी नहीं बनाएंगी।
मायावती ने यह भी कहा- आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ की गलतियां माफी के लायक नहीं हैं। उन्होंने गुटबाजी और पार्टी विरोधी काम किए। आकाश के करियर को भी बर्बाद करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी।
माफी मिलने के दो घंटे पहले आकाश आनंद ने मायावती से सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी। आकाश मायावती के सबसे छोटे भाई आनंद के बेटे हैं।
मायावती ने उन्हें 15 महीने में 2 बार उत्तराधिकारी घोषित किया, लेकिन दोनों ही बार हटा दिया था। 3 मार्च को उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया था।

आकाश आनंद ने 2016 में सक्रिय राजनीति में एंट्री ली थी।
मायावती ने कहा-
- आकाश आनंद को एक और मौका दिए जाने का निर्णय लिया है।
- जब तक पूरी तरह से स्वस्थ्य रहूंगी, काम करती रहूंगी। उत्तराधिकारी बनाने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है।
- पार्टी से निकाले जाने के बाद आकाश ने अपनी तमाम गलतियों के लिए माफी मांगी। आगे ऐसी गलती नहीं करने को लेकर वह लोगों से लगातार सम्पर्क करता रहा है।
- उसने सार्वजनिक तौर पर अपनी गलतियों को मानते हुए अपने ससुर की बातों में अब आगे नहीं आने का संकल्प व्यक्त किया है।
- आकाश के ससुर अशोक सिद्धार्थ की गलतियां अक्षम्य हैं। इसलिए उनको माफ करने व पार्टी में वापस लेने का सवाल ही नहीं पैदा होता है।
क्यों हुई आकाश की वापसी…
राजनीति के जानकारों का कहना है कि आकाश की बसपा में वापसी की स्क्रिप्ट पहले से लिखी गई थी। पार्टी से निकाले जाने के बाद आकाश आनंद ने खामोशी ओढ़ ली थी, लेकिन वे मायावती की हर एक पोस्ट को री-पोस्ट कर उनका समर्थन करते थे।
उनका माफीनामा भी बसपा के लोगों ने सोशल मीडिया पर वायरल किया। इससे भी लग रहा है कि मायावती और आकाश में सब कुछ पहले से तय हो गया था। फिलहाल आकाश को अभी कोई पद नहीं मिलेगा।
अब 4 वजह भी पढ़िए…
- आकाश के जरिए मायावती दलित युवाओं को आकर्षित करना चाहती हैं, अभी चंद्रशेखर से चुनौती मिल रही है।
- सपा के राज्यसभा सांसद रामजी लाल सुमन की वजह से सपा पश्चिम में दलितों को गोलबंद करने में जुटी हुई है।
- कांग्रेस ने अहमदाबाद अधिवेशन में जिस तरह से दलित-आदिवासी व पिछड़ों को लेकर संकल्प पारित किया है। इससे भी मायावती असहज महसूस कर रही थीं। इसे लेकर उन्होंने सोशल मीडिया पर कांग्रेस को आड़े हाथों भी लिया था।
- निष्कासन के बाद से ही आकाश और उनके ससुर ने ऐसा कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया, जिससे मायावती को असहज होना पड़े।
दैनिक भास्कर ने आकाश आनंद के निष्कासन के समय ही एक्सपर्ट के माध्यम से बता दिया था कि देर-सबेर उन्हें वापस ले लिया जाएगा। यहां पढ़ें पूरी खबर…

आकाश बोले- आगे से कोई भी गलती नहीं करूंगा आकाश आनंद ने कहा, मायावती को मैं अपना दिल से एकमात्र राजनीतिक गुरु और आदर्श मानता हूं। आज मैं यह प्रण लेता हूं कि बहुजन समाज पार्टी के हित के लिए मैं अपने रिश्ते-नातों को और खासकर अपने ससुराल वालों को कतई भी बाधा नहीं बनने दूंगा।
कुछ दिनों पहले किए गए अपने ट्वीट के लिए भी माफी मांगता हूं। जिसकी वजह से मुझे पार्टी से निकाल दिया गया है। आगे से मैं अपने किसी भी राजनीतिक फैसले के लिए किसी भी नाते रिश्तेदार और सलाहकार की कोई सलाह मशविरा नहीं लूंगा। और सिर्फ बसपा सुप्रीमो के दिशा-निर्देशों का ही पालन करूंगा। पार्टी में अपने से बड़ों की और पुराने लोगों की भी पूरी इज्जत करूंगा और उनके अनुभवों से भी काफी कुछ सीखूंगा।
बहनजी से अपील है कि वे मेरी सभी गलतियों को माफ करके मुझे फिर से पार्टी में कार्य करने का मौका दिया जाए, इसके लिए मैं सदैव उनका आभारी रहूंगा। साथ ही अब मैं आगे ऐसी कोई भी गलती नहीं करूंगा, जिससे पार्टी व बहन जी के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान को ठेस पहुंचे।

मायावती ने कहा था- आकाश ससुर के प्रभाव में स्वार्थी-अहंकारी हो गया बसपा प्रमुख मायावती ने 3 मार्च को भतीजे आकाश आनंद को पार्टी से निकाल दिया था। कहा था- आकाश को पश्चाताप करके अपनी परिपक्वता दिखानी थी। लेकिन, आकाश ने जो प्रतिक्रिया दी, वह राजनीतिक मैच्योरिटी नहीं है। वो अपने ससुर के प्रभाव में स्वार्थी, अहंकारी हो गया है।
बसपा सुप्रीमो ने 2 मार्च को आकाश को पार्टी के सभी पदों से हटाया था और कहा था कि वे उनके उत्तराधिकारी नहीं हैं। उन्होंने कहा था, ‘मेरे जीते-जी और आखिरी सांस तक पार्टी में मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। मेरे लिए पार्टी और आंदोलन सबसे पहले हैं, परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं। जब तक मैं जीवित रहूंगी, तब तक पूरी ईमानदारी से पार्टी को आगे बढ़ाती रहूंगी।’

मायावती ने आकाश को कब-कब जिम्मेदारियां सौंपीं और हटाया, जानिए
15 महीने में 2 बार उत्तराधिकारी बनाया आकाश मायावती के सबसे छोटे भाई के बेटे हैं। उन्हें 15 महीने में 2 बार उत्तराधिकारी घोषित किया गया, लेकिन दोनों ही बार हटा दिया।
- सबसे पहले 10 दिसंबर, 2023 को यूपी-उत्तराखंड के नेताओं की बैठक बुलाई थी। इसमें मायावती ने अपने सबसे छोटे भाई आनंद कुमार के बेटे आकाश आनंद को उत्तराधिकारी घोषित किया था। पार्टी की विरासत और राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने अपने भतीजे पर विश्वास जताया था।
- 7 मई, 2024 को गलतबयानी की वजह से सभी जिम्मेदारियां छीन ली। आकाश को अपने उत्तराधिकारी पद के साथ ही नेशनल कोऑर्डिनेटर पद से भी हटा दिया था। मायावती ने कहा था कि आकाश अभी अपरिपक्व (इमेच्योर) हैं।
- 47 दिन बाद मायावती ने अपना फैसला पलट दिया था। 23 जून, 2024 को फिर से उत्तराधिकारी बनाया और नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी भी सौंप दी, लेकिन 2 मार्च 2025 को उनसे फिर सारी जिम्मेदारियां छीन लीं। 3 मार्च को उन्हें पार्टी से ही बाहर कर दिया गया।

10 दिसंबर 2023 को यूपी-उत्तराखंड के नेताओं की बैठक के दौरान मायावती ने आकाश को उत्तराधिकारी बनाया था।
जब आकाश को हटाया, तब मायावती ने ये 3 बातें कही थी…
- मेरे लिए पार्टी सबसे पहले, परिवार बाद में मैं यह बताना चाहती हूं कि बदले हुए हालात को देखते हुए अब हमने अपने बच्चों के रिश्ते गैर-राजनीतिक परिवारों में ही करने का फैसला किया। इसका मकसद यह है कि भविष्य में हमारी पार्टी को किसी भी तरह का नुकसान न हो, जैसा कि अशोक सिद्धार्थ के मामले में हुआ। इतना ही नहीं, बल्कि मैंने खुद भी यह निर्णय लिया है कि मेरे जीते जी और आखिरी सांस तक पार्टी में मेरा कोई उत्तराधिकारी नहीं होगा। मेरे लिए पार्टी और आंदोलन सबसे पहले हैं, जबकि परिवार और रिश्ते बाद में आते हैं। जब तक मैं जीवित रहूंगी, तब तक पूरी ईमानदारी से पार्टी को आगे बढ़ाती रहूंगी।
- आकाश को हटाने के पीछे उनके ससुर जिम्मेदार कांशीराम के पदचिह्नों पर चलते हुए अशोक सिद्धार्थ, जो आकाश आनंद के ससुर भी हैं। उन्हें पार्टी और मूवमेंट के हित में बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। उन्होंने उत्तर प्रदेश समेत पूरे देश में पार्टी को गुटों में बांटकर कमजोर करने का काम किया था। जहां तक आकाश आनंद का सवाल है, तो यह सभी को पता है कि उनकी शादी अशोक सिद्धार्थ की बेटी से हुई है। अब जब अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया गया है, तो यह देखना जरूरी होगा कि उनकी बेटी पर उनके विचारों का कितना असर पड़ता है। वह आकाश आनंद को कितना प्रभावित कर सकती हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए पार्टी के हित में आकाश आनंद को सभी जिम्मेदारियों से अलग कर दिया गया है। इसके लिए पार्टी नहीं, बल्कि पूरी तरह उनके ससुर अशोक सिद्धार्थ ही जिम्मेदार हैं, जिन्होंने आकाश आनंद के राजनीतिक करियर को भी नुकसान पहुंचाया है। अब उनकी जगह, पहले की तरह ही आनंद कुमार पार्टी के सभी कार्यों को संभालते रहेंगे।
- सपा और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू मिल्कीपुर में बसपा ने उपचुनाव नहीं लड़ा था। इसके बाद भी समाजवादी पार्टी की करारी हार हुई। अब सपा किसे जिम्मेदार ठहराएगी? क्योंकि पहले सपा ने अपनी हार के लिए बीएसपी को दोषी ठहराने का झूठा प्रचार किया था। सपा और भाजपा एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सिर्फ आंबेडकरवादी नीति और सिद्धांतों पर चलने वाली बीएसपी ही भाजपा और अन्य जातिवादी पार्टियों को हरा सकती है। यह बात पूरे देश के सभी समाज के लोगों को समझनी चाहिए।
आकाश को दिया था अल्टीमेटम बसपा सुप्रीमो ने पार्टी से निकालने के 15 दिन पहले भतीजे आकाश आनंद को अल्टीमेटम दिया था। कहा था- बसपा का वास्तविक उत्तराधिकारी वही होगा, जो कांशीराम की तरह हर दुख-तकलीफ उठाकर पार्टी के लिए आखिरी सांस तक जी-जान लगाकर लड़े और पार्टी मूवमेंट को आगे बढ़ाता रहे।

मायावती के साथ डॉ. अशोक सिद्धार्थ। अशोक सिद्धार्थ की बेटी की शादी 2023 में मायावती के भतीजे आकाश आनंद से हुई थी।
आकाश के ससुर को भी पार्टी से निकाला फरवरी में मायावती ने भतीजे आकाश आनंद के ससुर अशोक सिद्धार्थ को पार्टी से निकाल दिया था। उनके करीबी नितिन सिंह को भी पार्टी से बाहर कर दिया। यह एक्शन संगठन में गुटबाजी और अनुशासनहीनता पर लिया था।
कहा था- दक्षिणी राज्यों के प्रभारी रहे डॉ अशोक सिद्धार्थ और नितिन सिंह चेतावनी के बाद भी पार्टी में गुटबाजी कर रहे थे। इन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के चलते तत्काल प्रभाव से पार्टी से निष्कासित किया जाता है।
आकाश ने 2017 में राजनीति में की थी एंट्री आकाश आनंद पहली बार 2017 में सहारनपुर की एक जनसभा में मायावती के साथ दिखे थे। इसके बाद वह लगातार पार्टी का काम कर रहे थे। 2019 में उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया। यह फैसला तब लिया गया जब सपा और बसपा का गठबंधन लोकसभा चुनाव के बाद टूटा। 2022 के हिमाचल विधानसभा चुनाव में पहली बार आकाश आनंद का नाम स्टार प्रचारकों की लिस्ट में आया था।
आकाश ने लंदन से मास्टर ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (MBA) की पढ़ाई की है। आकाश की शादी बसपा के पूर्व राज्यसभा सदस्य अशोक सिद्धार्थ की बेटी डॉ. प्रज्ञा से हुई है।

यह आकाश आनंद और डॉ. सिद्धार्थ की बेटी प्रज्ञा की शादी की तस्वीर है। इसमें मायावती भी मौजूद रही थीं।
206 से 1 विधानसभा सीट पर सिमटी बसपा 2007 में 206 विधानसभा सीटें जीतने वाली बसपा की अब हालत ये है कि विधानसभा में सिर्फ एक विधायक है। 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश के 15.2 करोड़ वोटर में से 12.9 फीसदी वोट बसपा को मिला। उसे कुल एक करोड़ 18 लाख 73 हजार 137 वोट मिले थे।
2024 के लोकसभा चुनाव में भी बसपा की स्थिति नहीं सुधरी। 2019 के लोकसभा में 10 सीटें जीतने वाली बसपा इस बार खाता भी नहीं खोल पाई। उसका वोट प्रतिशत 2019 में 19.43% से गिरकर 9.35% रह गया। ये विधानसभा चुनाव से भी लगभग 3 प्रतिशत कम था।

महाराष्ट्र-झारखंड के बाद दिल्ली में मायूसी हाथ लगी महाराष्ट्र-झारखंड के बाद मायावती को दिल्ली विधानसभा चुनाव से भी मायूसी हाथ लगी। उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 में से 69 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। पार्टी के नेशनल कॉआर्डिनेटर और मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने इस चुनाव में काफी प्रचार किया था।
इसके बावजूद पार्टी के प्रदर्शन पर कोई असर नहीं डाल पाए। आलम ये रहा कि पार्टी के अधिकतर प्रत्याशी हजार वोट का आंकड़ा भी नहीं पार कर पाए। बसपा को कुल 55,066 (0.58 प्रतिशत) ही वोट मिल पाए।
यूपी में 2007 में बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन यूपी की राजनीति में आज भले ही बसपा सुप्रीमो का दबदबा घटता दिख रहा है, लेकिन अब भी पार्टी के पास 10 प्रतिशत के लगभग वोटबैंक है। गठबंधन में ये किसी का भी पलड़ा भारी कर सकता है। बसपा का सबसे शानदार प्रदर्शन 2007 में रहा। तब बसपा अपने बलबूते सूबे की सत्ता में लौटी थी।
विधानसभा में तब उसके 206 विधायक जीत कर पहुंचे थे। पार्टी को तब 30 प्रतिशत से अधिक वोट मिले थे। इस सफलता की वजह सोशल इंजीनियरिंग को माना गया था। बसपा एक बार फिर प्रदेश की राजनीति में अपने उन्हें सुनहरे दौर में लौटने का सपना बुन रही है।
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