AI Study Reveals Buildings Add 4-5°C to Urban Heat Risk | बिल्डिंग में रहने वाले 4-5% ज्यादा गर्मी झेल रहे: इसकी वजह बनावट; बेंगलुरु के स्टार्टअप ने एआई से इमारतों की ‘हीट रिस्क’ प्रोफाइलिंग की

AI Study Reveals Buildings Add 4-5°C to Urban Heat Risk | बिल्डिंग में रहने वाले 4-5% ज्यादा गर्मी झेल रहे: इसकी वजह बनावट; बेंगलुरु के स्टार्टअप ने एआई से इमारतों की ‘हीट रिस्क’ प्रोफाइलिंग की


नई दिल्ली4 घंटे पहलेलेखक: गुरुदत्त तिवारी

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बेंगलुरु ​​स्थित स्टार्टअप ‘रेजिलिएंस एआई’ ने पांच शहरों (बेंगलुरु, लखनऊ, विशाखापट्‌टनम, पुणे, जबलपुर) के कुछ इलाकों की हीट प्रोफाइलिंग की। - Dainik Bhaskar

बेंगलुरु ​​स्थित स्टार्टअप ‘रेजिलिएंस एआई’ ने पांच शहरों (बेंगलुरु, लखनऊ, विशाखापट्‌टनम, पुणे, जबलपुर) के कुछ इलाकों की हीट प्रोफाइलिंग की।

आपको कितनी गर्मी लगेगी… ये इस बात पर भी निर्भर करता है कि आप किस बिल्डिंग में रह रहे हैं। शहरों में बन रही ज्यादातर इमारतों में रहने वाले लोग वहां के औसत तापमान से 4-5 डिग्री ज्यादा गर्मी झेल रहे हैं। पहली बार एआई की मदद से की गई ‘हीट ​रिस्क’ यानी तापमान जोखिम की प्रोफाइलिंग में ये चौंकाने वाली बात सामने आई है।

बेंगलुरु ​​स्थित स्टार्टअप ‘रेजिलिएंस एआई’ ने पांच शहरों (बेंगलुरु, लखनऊ, विशाखापट्‌टनम, पुणे, जबलपुर) के कुछ इलाकों की हीट प्रोफाइलिंग की। इसमें पता चला कि 80% बिल्डिंग ऐसी हैं, जो सामान्य तापमान से उच्च या अत्यधिक जोखिम में हैं। बड़ी वजह है- इन भवनों के निर्माण का तौर-तरीका।

स्टार्टअप ने स्थान, जमीन, आबोहवा, बिल्डिंग निर्माण के तरीके, उसमें इस्तेमाल की गई सामग्री, बाहरी स्ट्रक्चर और इंटीरियर जैसे 22 मानकों के आधार पर यह हीट प्रोफाइलिंग की। रिपोर्ट के अनुसार पुणे का चाकण इलाका इस सर्वे में शामिल किया गया, जो ऑटो हब है। यहां कई बड़ी कंप​नियों की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं।

इसके बावजूद यहां की जमीन पेड़-पौधे लगाने के लिए ज्यादा उपयुक्त होने से यहां तापमान के लिहाज से ज्यादा जोखिम नहीं है। इसकी तुलना में विशाखापट्‌टनम की रेलवे कॉलोनी में लगभग सारी ​इमारतें उच्च या अत्यधिक जोखिम में आती हैं। मार्च और जून के बीच में गर्मी के दौरान तापमान 41 डिग्री तक पहुंच जाता है।

लेकिन जोखिम ज्यादा होने से ​इस पोर्ट सिटी की रेलवे कॉलोनी में लोग घर में बैठे हुए 46 डिग्री तक तापमान झेलने को मजबूर हैं।

5 में से 3 शहरों में एक भी बिल्डिंग कम या बहुत कम जोखिम के दायरे में नहीं

शहर बेंगलुरु लखनऊ विशाखापट्‌टनम पुणे जबलपुर

इलाका

इंदिरानगर गोमतीनगर रेलवे कॉलोनी चाकण राइट डाउन
कुल-बिल्डिंग 1147 2283

12,579

7949 3181
उच्च जोखिम

518

1324 8,054 315 1547
बहुत उच्च 428 22 4,476 6799 530
सामान्य 61 924 49 699 1104
कम जोखिम 0 0 0 113 0
बहुत कम 0 0 0 0 0

जबलपुर के राइट टाउन में 65% घर अत्यधिक जोखिम में

बेंगलुरु के इं​दिरा नगर में 85% बिल्डिंग में रहने वाले शहर के लोग मार्च से मई तक 37-38 डिग्री तक तापमान झेलते हैं। यह औसत तापमान से 5-6 डिग्री ज्यादा है। जबलपुर के राइट टाउन में 65% घर इन गर्मियों में अधिक और अत्यधिक जोखिम में रहेंगे। अकेले अत्यधिक जोखिम वाले घर और भवनों की संख्या 50% से ज्यादा है। लखनऊ के गोमती नगर का जो इलाका इस सर्वे में शामिल है, वहां की 59% बिल्डिंग ही उच्च या उच्चतम जोखिम में हैं। शेष 41% कम जोखिम में हैं।

  • इस हीट प्रोफाइलिएंग में इं​दिरा नगर (बेंगलुरू) का 0.39 वर्ग किमी, गोमती नगर (लखनऊ का 0.74 वर्ग किमी, रेलवे कॉलोनी (विशाखापट्‌टनम) का 5 वर्ग ​किमी, चाकण (पुणे) का 3.4 वर्ग किमी, जबलपुर (राइट टाउन) का 0.6 वर्ग किमी शामिल है।
  • कंपनी के अनुसार हीट का जोखिम पास-पास बने दो घरों में अलग-अलग हो सकता है। यह निर्भर करेगा कि वे किस तरह बनाए गए हैं। इसी तरह एक ही शहर के दो अलग-अलग इलाकों में कहीं लू के थपेड़े ज्यादा और कहीं कम पड़ सकते हैं।
  • यह काफी कुछ इलाकों के डेवलपमेंट प्लान पर निर्भर होगा। कंपनी अपने एआई टूल के माध्यम से जिस इलाके में सारे रिस्क का विश्लेषण महज 4 घंटे में कर देती है, वहां प्रचलित मानकों से काम करने पर 15-20 दिन लग जाते हैं।

एक्सपर्ट व्यू- ऐसे घटाएं घर का पारा

कांच की बिल्डिंग न बनाएं, रूफटॉप गार्डनिंग, वेंटिलेशन हो

किस बिल्डिंग में रहने वालों को गर्मी के थपेड़े कितने झेलने पड़ेंगे, यह काफी कुछ इस पर निर्भर है ​​​कि वहां कहां ​स्थित है। उसे बनाने में ​​किस तरह की सामग्री का उपयोग किया गया है। ​यानी उस बि​ल्डिंग में एलिवेशन कैसा है। स्लोब कैसा दिया है।

बिल्डिंग आरसीसी की है या वेंटिलेशन नहीं है तो वहां तापमान ज्यादा होगा। वेंटिलेशन के साथ आरसीसी बिल्डिंग में हीट ​रिस्क कम होता है। कच्ची ​मिट्‌टी की छत हो तो तापमान बढ़ने का जो​खिम कम होता है। लेकिन शहरों के बीचों बीच कोई कच्ची ​मिट्‌टी की छत से घर बनाने से रहा। इसलिए आरसीसी की छत पर वेंटिलेशन या रूफटॉप गार्डनिंग से तापमान को नियंत्रित किया जा सकता है।

भवन ​​निर्माण और एरिया डेवलप करने की अनुमति देने वाली सरकारी एजेंसियां इलाकों की हीट प्रोफाइ​लिंग करके बिल्डर्स और निजी लोगों से ​निश्चित ग्रीन कवर लगाने को कह सकती हैं। लेकिन अभी उनके पास एरिया ​विशेष की कोई जानकारी नहीं होती।

वे पूरे शहर को और भवनों को एक समान ही मानकर चलते हैं। ​निर्माण खत्म होते ही उनकी जिम्मेदारी खत्म हो जाती है। ले​किन वे पहले से विकसित इलाकों में रहने वालों को अत्यधिक गर्मी से बचाने के उपाय कर सकती हैं। पौधरोपण एक समान न किया जाए। रेलवे या मेट्रो के पास स्थित इलाकों में बड़े पेड़ न लगाए जाएं। कंपन से इनके टूट जाने का डर रहता है। इसलिए यहां आसपास की जमीन में हम घास या फिर गुलाब लगाने की सलाह देते हैं। सोलर पैनल वाले घरों में वेंटिलेशन या बागवानी बेहद जरूरी है।

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