
नई दिल्ली5 घंटे पहले
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फोटो AI जनरेटेड है।
सरकार ने शनिवार को मीडिया आउटलेट्स से सेना के ऑपरेशन्स और सुरक्षा बलों की आवाजाही का लाइव टेलीकास्ट न करने का निर्देश दिया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने कहा कि ऐसी रिपोर्टिंग से अनजाने में दुश्मनों को मदद मिल सकती है।
यह सलाह जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद रक्षा मामलों पर रिपोर्टिंग के मद्देनजर जारी की गई है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। सरकार ने कहा अगर कोई चैनल केबल टीवी नेटवर्क अमेंडमेंट एक्ट 2021 के नियमों का उल्लंघन करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
इधर, भारतीय रेलवे ने भी कश्मीर में तैनात गैर-कश्मीरी कर्मचारियों के लिए एडवाइजरी जारी की है। जिसमें कहा है कि कोई गैर कश्मीरी कर्मचारी अकेले बाहर न जाए। उन्हें ऑफिस आने-जाने के लिए भी RPF की ओर से सुरक्षा मुहैया कराई जा रही है।

मीडिया के लिए एडवायजरी की बड़ी बातें…
- नेशनल सिक्योरिटी को ध्यान में रखते हुए सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स, न्यूज एजेंसी, सोशल मीडिया यूजर्स को सलाह दी जाती है कि वे सेना और बाकी सुरक्षा ऑपरेशन से जुड़ी रिपोर्टिंग करते समय नियमों का पालन करें।
- खासतौर पर डिफेंस ऑपरेशन और मूवमेंट के रियल टाइम कवरेज, विजुअल्स को सूत्रों के हवाले से चलाने से बचना चाहिए। संवेदनशील जानकारी का समय से पहले खुलासा अनजाने में दुश्मन की मदद कर सकता है और कर्मियों की सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।
- मीडिया, डिजिटल प्लेटफॉर्म और व्यक्तिगत रूप से हर कोई राष्ट्रीय सुरक्षा में अहम जिम्मेदारी निभाता है। कानूनी रूप से प्रतिबंध के इतर यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम अपने सैनिकों की सुरक्षा का ध्यान रखें, जबकि वे किसी खास ऑपरेशन में लगे हैं।
- सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय सभी टीवी चैनल्स को पहले भी निर्देश जारी कर चुका है कि किसी भी चैनल पर एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन का लाइव कवरेज नहीं दिखाया जाएगा। मीडिया कवरेज बैन होने के बाद सरकार की तरफ से निर्धारित अधिकारी इसके बार में ऑपरेशन खत्म होने पर ब्रीफ करेगा।
कंधार हाइजैक, मुंबई आतंकी हमले का हवाला दिया
सरकार ने सिक्योरिटी फोर्सेस के ऑपरेशन का लाइव कवरेज और उससे हुए नुकसान का हवाला दिया। एडवाइजरी में लिखा है- पिछली घटनाओं को देखें तो वे जिम्मेदारी भरी रिपोर्टिंग के महत्व को दिखाती हैं। कारगिल वॉर, 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों और कंधार अपहरण जैसी घटनाओं की अप्रतिबंधित कवरेज ने राष्ट्रीय हितों पर विपरीत असर डाला था।
दरअसल, कारगिल वॉर के समय मीडिया ने युद्ध के मैदान की सीधी रिपोर्टिंग की थी, जिसमें सेना की मूवमेंट, पोजीशन, और योजना दिखाई। इससे दुश्मन (पाकिस्तानी सेना और घुसपैठिए) को भारतीय सेना की रणनीति का अंदाजा हो गया।
ठीक इसी तरह 1999 के कंधार प्लेन हाईजैक के समय भारतीय मीडिया ने यात्रियों के परिवारों की भावनात्मक लाइव अपीलें दिखानी शुरू कर दी थीं। इससे आतंकवादियों को भारत पर भावनात्मक दबाव बनाने का मौका मिला, और सरकार को मजबूर होकर आतंकवादियों को छोड़ना पड़ा था।
रेलवे की एडवाइजरी- ISI गैर कश्मीरियों को निशाना बना सकती है
भारतीय रेलवे की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि पाकिस्तान की आईएसआई और उससे जुड़े आतंकी संगठन विशेष रूप से गैर-स्थानीय लोगों, पुलिस कर्मियों (खास तौर पर सीआईडी) और कश्मीरी पंडितों पर हमले करने की योजना बना रहे हैं। खुफिया इनपुट के मुताबिक खास तौर पर श्रीनगर और गंदेरबल जिलों में इन लोगों को निशाना बनाया जा सकता है।
खुफिया इनपुट में कहा गया है कि आतंकवादी कश्मीर में रेलवे के बुनिया ढांचे, रेलवे कर्मचारियों और अन्य गैर स्थानीय कर्मचारियों को निशाना बनाकर हमलों को अंजाम दे सकते हैं।
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जम्मू-कश्मीर में 6 आतंकवादियों के घर ब्लास्ट से गिराए

जम्मू-कश्मीर में अब तक 6 आतंकवादियों के घर गिराए जा चुके हैं। सेना ने त्राल, अनंतनाग, पुलवामा, कुलगाम और शोपियां में सर्च ऑपरेशन के दौरान यह एक्शन लिया। द कश्मीर रेजिस्टेंस फ्रंट ने पहलगाम हमले के 3 दिन बाद अटैक की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। हमले के बाद सबसे पहले TRF ने ही इसकी जिम्मेदारी ली थी। पढ़ें पूरी खबर…