15 days have passed since the Supreme Court judges came from Manipur| Manipur violence | मणिपुर: मैतेई और कुकी पक्षों के बीच शांतिवार्ता की पेशकश: 15 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के जज दौरे पर गए थे, राहत शिविरों की हालत खराब

15 days have passed since the Supreme Court judges came from Manipur| Manipur violence | मणिपुर: मैतेई और कुकी पक्षों के बीच शांतिवार्ता की पेशकश: 15 दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के जज दौरे पर गए थे, राहत शिविरों की हालत खराब


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इंफाल48 मिनट पहले

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23 महीनों से मणिपुर में हिंसा जारी है। यहां 13 फरवरी, 2025 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया। - Dainik Bhaskar

23 महीनों से मणिपुर में हिंसा जारी है। यहां 13 फरवरी, 2025 को राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के जजों का प्रतिनिधिमंडल दौरे पर मणिपुर पहुंचा था।

सुप्रीम कोर्ट के जजों को मणिपुर से वापस आए 15 दिन बीत चुके है, लेकिन राहत शिविरों में रह रहे 50 हजार से ज्यादा विस्थापितों की जिंदगी अब भी वैसी ही है।

टीम ने जातीय हिंसा के विस्थापितों से मुलाकात की और राहत शिविरों का दौरा किया था। जस्टिस कोटिश्वर सिंह ने मणिपुर के समृद्ध होने की बात कही थी।

प्रतिनिधिमंडल में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एमएम सुंदरेश, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह शामिल थे।

जस्टिस बी.आर. गवई जज प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहें थे। मणिपुर में अस्थायी चिकित्सा सुविधाओं का वर्चुअल उद्घाटन भी किया था।

जस्टिस बी.आर. गवई जज प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहें थे। मणिपुर में अस्थायी चिकित्सा सुविधाओं का वर्चुअल उद्घाटन भी किया था।

शांति के लिए मैतेई और कुकी पक्षों के बीच बातचीत की पेशकश

दौरे के समय सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने संवैधानिक तरीकों से सभी समस्याओं का समाधान करने की बात कही थी। उन्होंने कहा था जब संवाद होता है तो समाधान आसानी से मिल जाता है।

इसके बाद बड़े बदलाव की उम्मीद की जा रही थी। अब मैतेई और कुकी समुदाय के बीच शांति का रास्ता निकालने की एक पहल हुई है।

मैतेइयों के प्रमुख संगठन कोऑर्डिनेटिंग कमेटी ऑन मणिपुर इंटीग्रिटी (कोकोमी) के एक नेता ने बताया कि शांति के लिए दोनों पक्षों को बातचीत करनी होगी।

थादोऊ कुकी जनजाति के कुछ लोगों ने बातचीत की पेशकश की है। कोकोमी के लोग अब अगले हफ्ते में हर मैतेई के घर जाकर इस संबंध में बात करेंगे। सभी लोगों की जो राय होगी, वही अंतिम निर्णय होगा।

हालांकि, कुकी नेताओं का कहना है कि थादोऊ जनजाति के लोग दिल्ली में बैठकर मैतेइयों से बातचीत की पेशकश कर रहे हैं, उन्हें मणिपुर के कुकी संगठनों का समर्थन नहीं मिलेगा।

बता दें कि थदोऊ मणिपुर की मूल जनजातियों में से एक है जिसे भारत सरकार के 1956 के राष्ट्रपति आदेश के तहत स्वतंत्र अनुसूचित जनजातियों के रूप में मान्यता दी थी।

जनसंख्या के हिसाब से थदोऊ मणिपुर में दूसरी सबसे बड़ी जनजाति हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार मणिपुर में थदोऊ की जनसंख्या 2 लाख 15 हजार है।

राहत शिविरों की स्थिति बदतर, मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा

हिंसा के बीच राहत शिविरों की स्थिति बदतर है, मरीजों को समय पर इलाज मिलने के कारण उनकी मौत हो रही है।

स्थानीय के अनुसार जजों के दौरे के बाद क्या योजना बनीं इसकी कोई भी सूचना शिविरों में रह रहे लोगों को नहीं दी गई है।

चूराचांदपुर के 50 राहत शिविरों में करीब 8 हजार लोग रह रहें हैं, जिनमें कई बीमार हैं। मरीजों को देख रहे एक डॉक्टर बताया कि सरकारी अस्पताल में दवाएं खत्म हो चुकी हैं। यही हाल इंफाल का भी है।

जजो के दौरे के समय चुराचांदपुर में राहत शिविर में मौजूद लोगों का इलाज करती महिला डॉक्टर।

जजो के दौरे के समय चुराचांदपुर में राहत शिविर में मौजूद लोगों का इलाज करती महिला डॉक्टर।

जस्टिस गवई ने कहा- विस्थापित लोग हमसे पीछे न छूटे

जस्टिस गवई ने कहा था- हमारी नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है कि विस्थापित लोग हमसे पीछे न छूटें। उनकी आईडेंटिटी, डॉक्यूमेंट्स, संपत्ति का अधिकार या फिर मुआवजे के मामलों में पूरा अधिकार प्राप्त हो।

उन्होंने विस्थापित समुदायों के भीतर स्थापित कानूनी सहायता क्लिनिक से मुफ्त कानूनी सहायता देने की बात कही थी। मणिपुर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण ने 265 कानूनी सहायता क्लिनिक स्थापित किए थे।

जस्टिस गवई ने कहा, ‘मैं सभी विस्थापित व्यक्तियों से इन सेवाओं का लाभ उठाने का आग्रह करता हूं। उन्हें आश्वस्त करता हूं कि हम उनके जीवन के पुनर्निर्माण की दिशा में उनके साथ खड़े हैं।’

जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने कहा कि हमें आगे देखना चाहिए और भविष्य के बारे में सोचना चाहिए। हमें अतीत, दर्द में नहीं जीना चाहिए। हमें एक उज्जवल भविष्य की ओर देखना चाहिए। इसमें समय लग सकता है, लेकिन हमें उम्मीद रखनी चाहिए और सकारात्मक रहना चाहिए।

शाह बोले- मणिपुर में 4 महीने से शांति

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 3 मार्च को लोकसभा और राज्यसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाने का प्रस्ताव पेश किया, जिसे दोनों सदन से मंजूरी मिल गई।

लोकसभा में शाह ने कहा- दिसंबर से मार्च तक बीते चार महीनों से मणिपुर में कोई हिंसा नहीं हुई है। राहत कैंपों में खाने-पीने, दवाइयों और मेडिकल सुविधाएं सुनिश्चित की गई हैं।

दरअसल, मई 2023 से मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी। 9 फरवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन के इस्तीफा के बाद मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लगाया गया।

नियम के तहत 2 महीने के भीतर सरकार को दोनों सदनों से राष्ट्रपति शासन को लेकर परमिशन लेनी पड़ती है।

फ्री मूवमेंट का ऐलान के बाद बीते महीने मार्च में भड़की हिंसा

गृह मंत्री अमित शाह ने 1 मार्च को मणिपुर के हालात पर गृह मंत्रालय में समीक्षा बैठक की थी। गृह मंत्री ने 8 मार्च से मणिपुर में सभी सड़कों पर बेरोकटोक आवाजाही सुनिश्चित करने को कहा था। साथ ही सड़कें ब्लॉक करने वालों पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे।

आदेश के बाद मणिपुर में कुकी और मैतेई बहुल इलाकों में हिंसा भड़क उठी थी। इंफाल, चुराचांदपुर, कांगपोकपी, विष्णुपुर और सेनापति को जोड़ने वाली सड़कों पर शनिवार को जैसे ही बसें चलनी शुरू हुईं, कुकी समुदाय के लोगों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया।

सुरक्षाबलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प में एक पुरुष प्रदर्शनकारी की मौत हो गई, जबकि 25 अन्य घायल हो गए। मृतक की पहचान लालगौथांग सिंगसिट (30 साल) के रूप में हुई है।

प्रदर्शनकारियों ने बसों को रोका, इसके बाद हिंसा भड़क गई।

प्रदर्शनकारियों ने बसों को रोका, इसके बाद हिंसा भड़क गई।

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